सांझ की बेला पंची अकेला - The Indic Lyrics Database

सांझ की बेला पंची अकेला

गीतकार - पं. नरेंद्र शर्मा | गायक - सहगान, अरुण कुमार | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - ज्वार भाटा | वर्ष - 1944

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साँझ की बेला
साँझ की बेला पंची अकेला
साँझ की बेला
नैनन में दुख रैन अंधेरी
नैनन में दुख रैन अंधेरी
मन में तूफ़ानों का मेला
साँह की बेला
को: साँझ की बेला
साँह की बेला पंछी अकेला
को: (पंछी अकेला )-२
साँह की बेलातेरी बिन पतवार की नइया
मिला न मन का मीत खेवइया
बहता चल जिधर ले चले
बहता चल बहता चल
बहता चल तू जिधर ले चले
इन चंचल लहरों का रेला
साँझ की बेला ...खेल प्रेम का अजब अनोखा
खेल प्रेम का अजब अनोखा
देता मन अपने को धोखा
खेल प्रेम का अजब अनोखा
हार जीत क्या जाने जिसने
हार जीत क्या हार जीत
हार जीत क्या जाने जिसने
खेल प्रेम का कभी न खेला
साँझ की बेला ...