दिल को लाख सम्भाला जी फिर भी - The Indic Lyrics Database

दिल को लाख सम्भाला जी फिर भी

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - लता | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - गेस्ट हाउस | वर्ष - 1959

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दिल को लाख सम्भाला जी फिर भी दिल मतवाला जी
कल तक मेरा था आज क्यों तेरा हो गया

पहली मुलाकात में हमने न जाना छोटी सी ये बात बनेगी अफ़साना
पर तेरे प्यार में पहली ही बार में मेरा ये भोला सा दिल खो गया
दिल को लाख सम्भाला ...

चोर करे चोरी जी नज़रें चुरा के तूने मुझे लूटा है नज़रें मिला के
मुझको न होश था दिल मदहोश था ना जाने कैसे ये जादू हो गया
दिल को लाख सम्भाला ...

छोड़ो मेरा हाथ बुरा है ज़माना कहीं हमें देख न ले कोई बेगाना
देखो जी प्यार का टेढ़ा है रास्ता दो दिल मिले बैरी जग हो गया
दिल को लाख सम्भाला ... $