आगर आसमान तक मेरा हाथ जाता: - The Indic Lyrics Database

आगर आसमान तक मेरा हाथ जाता:

गीतकार - राहत इंदौरी | गायक - कुमार सानू | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - नाराज़ | वर्ष - 1994

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अगर आसमां तक मेरा हाथ जाता
तो तेरे माथे पे चंदा की बिंदिया लगाता
तेरी मांग तारों से मैं सजाताअगर आसमां तक मेरा हाथ जाता
तो चाँदनी से सेहरा बनाती
मुहब्बत की धड़कन से उसको सजाती
मैं खुद अपने हाथों से तुमको पहनाती
अगर आसमां तक ...मेरे पास दिल के सिवा कुछ नहीं है
ज़माने में दिल से बड़ा कुछ नहीं है
तो फिर आ तुझे अपने दिल में बसा लूं
तुझे अपने हाथों की रेखा बना लूं
अगर ये समन्दर मेरे बस में होता
मुहब्बत का मोती मैं इसमें से लाती
सुन मेरे साजन सुन मेरे साथी
अगर आसमां तक ...अगर तुझसे बिछड़ूं तो मर जाऊं सनम
कसम तुझको मेरी न बोल ऐसा हमदम
क्या है तमन्ना तेरी मेरे साजन
रहूं तेरे दिल में तेरी बन के धड़कन
अगर ये जहां मेरी मुट्ठी में आता
तो तुझ पर से क़ुर्बान करके लुटाता
अगर आसमां तक ...