दिल की उमंगें हैं जवाँ - The Indic Lyrics Database

दिल की उमंगें हैं जवाँ

गीतकार - साहिर | गायक - हेमंत, गीता, प्राण | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - मुनीमजी | वर्ष - 1955

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दिल की उमंगें हैं जवाँ
रंग में डूबा है समा
मैं ने तुम्हें जीत लिया
हार के दोनों जहाँ

गी: आप भी गाइए ना?
क्या मुश्किल है? सरगम बताऊँ

प म प ध प ग स प
दिल की उमंगें हैँ जवाँ
गाइए

प्रा: दिल की उमंगें हैं जवाँ
गी: बहुत अच्छे
प्रा: रंग में डूबा है समा
गी: वाह वाह वाह

हे: दिल की उमंगें हैं जवाँ
आ हा हा हा हा हा हा
गी: गाइए गाइए गाइए
प्रा: ओ हो हो हो हो हो हो
गी: क्या कहने

हे: ओऽ ओऽ ओऽ ओऽ ओऽ
सदियों पुरानी ये ज़मीन
है आज कितनी हसीन
आता नहीं है यकीन
होता नहीं है बयाँ

गी: आप भी गाइए
प्रा: दिल की उमंगें हैं जवाँ
रंग में डूबा है समा
गी: जियो जियो
प्रा: मैं ने तुम्हें जीत लिया
हे: ऊँ हूँ, मैं ने तुम्हें जीत लिया
हार के दोनों जहाँ
दिल की उमंगें हैं जवाँ

भीगे नज़ारों से कहो
गाती हवाओं से कहो ओ ओ
जाती बहारों से कहो
रुक जाये आज यहाँ

दिल की उमंगें हैं जवाँ

गी: गाइए ना
क्या मज़ा आ रहा है
हूँ हूँ हूँ
प्रा: दिल की उमंगें हैं जवाँ
रंग में डूबा है समा
हे: मैं ने तुम्हें जीत लिया
हार के दोनों जहाँ
दिल की उमंगें हैं जवाँ

हे: ओऽ ओऽ ओऽ ओऽ ओऽ
गी: हूँ हूँ हूँ
बेचैन तन्हाइयाँ
लेती हैं अन्गड़ाइयाँ
हल्की सी शहनाइयाँ
बजती हैं जाने कहाँ

गाइए न एक बार और

प्रा: दिल की उमंगें हैं जवाँ
रंग में डूबा है समा

हे: मैंने तुम्हें जीत लिया
हार के दोनों जहाँ

गी: आइए न आप भी नाचिये

हे, गी: दिल की उमंगें हैं जवाँ
रंग में डूबा है समा
हे: मैं ने तुम्हें जीत लिया
गी: ऊँ, हूँ मैं ने तुम्हें जीत लिया
हे, गी: हार के दोनों जहाँ$