दिल की शिकायत नज़र के शिकवे - The Indic Lyrics Database

दिल की शिकायत नज़र के शिकवे

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता | संगीत - रोशन | फ़िल्म - चांदनी चौक | वर्ष - 1954

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दिल की शिकायत नज़र के शिकवे एक ज़ुबाँ और लाख बयाँ
छुपा सकूँ न दिखा सकूँ मेरे दिल के दर्द भी हुए जवाँ

चाँद हँसा तारे चमके और मस्त हवा जब इठलाई
छुपती फिरी न जाने क्यूँ मैं जाने क्यूँ मैं शर्माई
तेरे सिवा है कौन जो समझे क्या गुज़री मुझपर यहाँ
छुपा सकूँ ...

सपनों में भी हम मिल न सके नींद भी तेरे साथ गयी
सावन आग लगा के चल दिया रो रो के बरसात गयी
मैं अपनी तक़दीर पे रोई मुझपे हँसा बेदर्द जहाँ
छुपा सकूँ ...

थोड़े लिखे तो बहुत समझ लो नए नहीं ये अफ़साने
दिल मजबूर भरा आता है छलक उठे हैं पैमाने
ख़त में जहाँ आँसू टपका है लिखा है मैंने प्यार वहाँ
छुपा सकूँ ...$