कहो जी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे - The Indic Lyrics Database

कहो जी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे

गीतकार - साहिर | गायक - लता | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - साधना | वर्ष - 1958

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कहो जी तुम क्या-क्या - सुनो जी तुम क्या-क्या
कहो जी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे
सुनो जी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे
यहाँ तो हर चीज़ बिकती है
कहो जी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे
लालाजी तुम क्या-क्या
मियाँजी तुम क्या-क्या
बाबूजी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे
सुनो जी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे
ये बलखाती हुई ज़ुल्फ़ें ये लहराते हुए बाज़ू
ये होंटों की जवाँ मस्ती ये आँखों का हसीं जादू
अदाओं के ख़ज़ाने जवानी के तराने
बहारों के ज़माने
कहो जी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे
तड़पती शोख़ियाँ दे दूँ मचलता बाँकपन दे दूँ
तुम एक कली माँगो तो सरा चमन दे दूँ
ये मस्ती के फेरे ये महके अँधेरे
ये रंगीन डेरे
कहो जी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे
मोहब्बत बेचती हूँ मैं शराफ़त बेचती हूँ मैं
न हो ग़ैरत तो ले जाओ के ग़ैरत बेचती हूँ मैं
निगाहें तो मिलाओ अदाएँ ना दिखाओ
यहाँ ना शर्माओ
कहो जी तुम क्या-क्या ख़रीदोगे