शौक से नाकामी की बदौलत कुचा ए दिल हि छुट गया - The Indic Lyrics Database

शौक से नाकामी की बदौलत कुचा ए दिल हि छुट गया

गीतकार - फ़ानी | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - उनके बहुत ही बेहतरीन गुलाम अली (गैर-फिल्म) में | वर्ष - 1994

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शौक़ से नाकामी की बदौलत कूचा-ए-दिल ही छूट गया
सारी उम्मीदें टूट गईं, दिल बैठ गया, जी छूट गयालीजिये क्या दामन की ख़बर और दस्त-ए-जुनूँ को क्या कहिये
अपने ही हाथ से दिल का दामन मुद्दत गुज़री छूट गयामंज़िल-ए-इश्क़ पे तन्हा पहुँचे कोई तमन्ना साथ न थी
थक थक कर इस राह में आख़िर एक इक साथी छूट गया'फ़ानी' हम तो जीते जी वो मय्यत हैं बे-गोर-ओ-क़फ़न
ग़ुर्बत जिसको रास न आई और वतन भी छूट गया