गीतकार - नरेंद्र शर्मा | गायक - पारुल घोष, पुरुष आवाज | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - NA | वर्ष - 1943
View in Romanतक़दीर बनी बन कर बिगड़ी
तक़दीर बनी बन कर बिगड़ी
दुनिया ने हमें बरबाद किया
दुख दर्द के हाथों लुट कर भी
इस दिल ने तुझी को याद किया
तक़दीर बनी
हम दिल की लगी को क्या रोयें
उल्फ़त में हज़ारों घर उजड़े
ए ए ए
ऐ इश्क़ के मारो तुम ही कहो
क़िसमत ने किसे आबाद किया
तक़दीर बनी
इस क़ैद में जीना मुशक़िल है
ऐ मौत लगी है आस तेरी
हो ओ ओ ओ
चुपके से ज़रा आ कर कह दे
जा हमने तुझे आज़ाद किया
तक़दीर बनी बन कर बिगड़ी
दुनिया ने हमें बरबाद किया
तक़दीर बनी