ये जिंदगी आज जो तुम्हारे बदन की - The Indic Lyrics Database

ये जिंदगी आज जो तुम्हारे बदन की

गीतकार - निदा फाजली | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - अंतर्दृष्टि (गैर फिल्म) | वर्ष - 1993

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ये ज़िंदग़ी !
आज जो, तुम्हारे बदन की छोटी-बड़ी नसों में
मचल रही है, तुम्हारे पैरों से, चल रही हैये ज़िंदग़ी !
तुम्हारी आवाज़ में ग़ले से, निकल रही है
तुम्हारे लफ़्ज़ों में, ढल रही हैये ज़िंदग़ी !
जाने कितनी सदियों से यूँही शक़लें
बदल रही हैबदलती शक़लें
बदलते जिस्मों में
चलता-फिरता ये इक शरारा
जो इस घड़ी नाम है तुम्हारा
इसी से सारी शहल-पहल है
इसी से रोशन है हर नज़ारासितारे तोड़ो, या घर बसाओ
क़लम उठाओ, या सर झुकाओतुम्हारी आँखों की रोश्नी तक
है खेल साराये खेल होगा नहीं दुबारा!
ये खेल होगा नहीं दुबारा!