रेखा की आंखों को देखा ना मिली कहीं वो हीरोइन - The Indic Lyrics Database

रेखा की आंखों को देखा ना मिली कहीं वो हीरोइन

गीतकार - समीर | गायक - उदित नारायण, जॉली मुखर्जी | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - बंदिश | वर्ष - 1996

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रुम झुम तुम झुम
ता ना ना ना तुम तुम
टिक टिक टिक टिक
रेखा की आँखों को देखा देखी श्रीदेवी की चाल
मस्ती मीनाक्षी की देखी देखे रवीना के गाल
मुस्कान देखी है माधुरी की देखे हैं डि.म्पल के बाल
न मिली कहीं वो heroineजो इस heroको भा जाए
लाओ कोई परी कहीं से जिसपे इसका दिल आ जाए
न मिली कहीं वो ...काली काली लट घुंघराली आँखें तिरछी तिरछी
तीखी तीखी लगती है ये कोल्हापुर की मिरची
कहदे पोरे से ऐ लाजवाब पोरी ये है चंदा तो ये है चकोरी
कहीं होगी नहीं ऐसी जोड़ी आके जळी से बांध ले प्रीत डोरी
कहदे पोरे से ...सबके सब नादान हो तुम इतनी भी पहचान नहीं
जो बिक जाए बाज़ारों में औरत वो सामान नहीं
शादी है जन्मों का बंधन इक दो दिन का मेल नहीं
जब जी चाहे इससे खेलें औरत कोई खेल नहींआई है किस दुनिया से लगती है हूर के जैसी
सच कहता हूँ धरती पर होगी न लड़की ऐसी
क्या आँखें हैं क्या मुखड़ा है
कमसिन है चाँद का टुकड़ा है
लूटी हैं मेरी नींदें इसने मेरा चैन चुराया है
हाँ यही तो है वो heroineजिस पे मेरा दिल आया है