दिल जो न कह सका - The Indic Lyrics Database

दिल जो न कह सका

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रोशन | फ़िल्म - भीगी रात | वर्ष - 1965

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दिल जो न कह सका
वोही राज़-ए-दिल कहने की रात आई
नग़्मा सा कोई जाग उठा बदन में
झनकार की सी थरथरी है तन में
प्यार की इन्हीं धड़कती फ़िज़ाओं
रहने की रात आई ...
अब तक दबी थी एक मौज-ए-अरमां
लब तक जो आई, बन गई है तूफ़ां
बात प्यार की बहकती निगाहों से
कहने की रात आई ...
गुज़रे ना ये शब, खोल दूं ये जुल्फें
तुम को छुपा लूँ मूंद के ये पलकें
बेक़रार सी लरज़तीसी छाँव में
रहने की रात आई ...