चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो - The Indic Lyrics Database

चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - चौदहवी का चांद | वर्ष - 1960

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चौदहवीं का चाँद हो या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम ख़ुदा की क़सम लाजवाब हो
ज़ुल्फ़ें हैं जैसे कांधो पे बादल झुके हुए
आँखे हैं जैसे मय के पयाले भरे हुए
मस्ती है जिस में प्यार की तुम वो शराब हो
चेहरा है जैसे झील में हंसता हुआ कंवल
या ज़िन्दगी के साज़ पे छेडी हुई ग़ज़ल
जान-ए-बहार तुम किसी शायर का ख़्वाब हो
होंठों पे खेलती हैं तबस्सुम की बिजलियाँ
सजदे तुम्हारी राह में करती हैं कहकशा
दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क का तुम ही शबाब हो