गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - मुगल-ए-आजम | वर्ष - 1960
View in Romanइन्सान किसी से दुनिया में, एक बार मोहब्बत करता है
इस दर्द को लेकर जीता है, इस दर्द को लेकर मरता है
प्यार किया तो डरना क्या, जब प्यार किया तो डरना क्या
प्यार किया कोई चोरी नहीं की, छुप छुप आहें भरना क्या
आज कहेंगे दिल का फसाना, जान भी ले ले चाहे ज़माना
मौत वही जो दुनिया देखे, घूँट घूँट कर यूँ मरना क्या
उन की तमन्ना दिल में रहेगी, शम्मा इसी महफ़िल में रहेगी
इश्क में जीना, इश्क में मरना, और हमें अब करना क्या
छुप ना सकेगा इश्क हमारा, चारों तरफ है उनका नज़ारा
परदा नहीं जब कोई खुदा से, बंदो से परदा करना क्या