जलते हैं जिसके लिए तेरी आंखों के दीये - The Indic Lyrics Database

जलते हैं जिसके लिए तेरी आंखों के दीये

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - तलत महमूद | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - सुजाता | वर्ष - 1959

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जलते हैं जिसके लिये, तेरी आँखों के दिये
ढूँढ लाया हूँ वही, गीत मैं तेरे लिये
जलते हैं जिसके लियेदर्द बनके जो मेरे दिल में रहा ढल ना सका
जादू बनके तेरी आँखों में रुका चल ना सका
आज लाया हूँ वही गीत मैं तेरे लिये
जलते हैं जिसके लियेदिल में रख लेना इसे हाथों से ये छूटे न कहीं
गीत नाज़ुक है मेरा शीशे से भी टूटे न कहीं
गुनगुनाऊंगा यही गीत मैं तेरे लिये
जलते हैं जिसके लियेजब तलक ना ये तेरे रस के भरे होंठों से मिले
यूँ ही आवारा फिरेगा ये तेरी ज़ुल्फ़ों के तले
गाये जाऊंगा यही गीत मैं तेरे लिये
जलते हैं जिसके लिये