दिल के धोखे में ना आना दिल की झूठी ज़ात है - The Indic Lyrics Database

दिल के धोखे में ना आना दिल की झूठी ज़ात है

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - सुरैया, रफ़ी, सहगान | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - शान | वर्ष - 1950

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दिल के धोखे में ना आना दिल की झूठी ज़ात है
को: अजी दिल की झूठी ज़ात है
सु: रात को ये दिन कह दे और दिन को कह दे रात है
दिल की झूठी ज़ात है
को: अजी दिल की झूठी ज़ात है )-2

र: एक मज़े की बात बतावें सुनो कलेजा थाम के
अजी सुनो कलेजा थाम के
जिन में किसी का प्यार नहीं है वो दिल भी किस काम के
अजी वो दिल भी किस काम के
मानो या न मानो लेकिन बड़े पते की बात है

सु: दिल के धोखे में ना आना दिल की झूठी ज़ात है
को: अजी दिल की झूठी ज़ात है
सु: रात को ये दिन कह दे और दिन को कह दे रात है
दिल की झूठी ज़ात है
को: अजी दिल की झूठी ज़ात है

सु: प्यार की गलियों में दिलवाले खेल न दिल का खेलना
खेल न दिल का खेलना
ख़ुशियों से मुँह मोड़ के एक दिन दर्द पड़ेगा झेलना
दर्द पड़ेगा झेलना
क़दम-क़दम पर इस दुनिया में अश्क़ों की बरसात है

सु: दिल के धोखे में ना आना दिल की झूठी ज़ात है
को: अजी दिल की झूठी ज़ात है
सु: रात को ये दिन कह दे और दिन को कह दे रात है
दिल की झूठी ज़ात है
को: अजी दिल की झूठी ज़ात है

र: दिल को झूठा कहने वाली दिल का कहना मान ले
अजी दिल का कहना मान ले
दिल ही सोना दिल ही चाँदी दिल को दौलत जान ले
अजी दिल को दौलत जान ले
को: न न न
सु: सात को ये छ्ः कह दे और छ्ः को कह दे सात है

दिल के धोखे में ना आना दिल की झूठी ज़ात है
को: अजी दिल की झूठी ज़ात है
सु: रात को ये दिन कह दे और दिन को कह दे रात है
दिल की झूठी ज़ात है
को: अजी दिल की झूठी ज़ात है$