बच्चों तुम तक़दीर हो कल के हिंदुस्तान की - The Indic Lyrics Database

बच्चों तुम तक़दीर हो कल के हिंदुस्तान की

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोसले - मोहम्मद रफी | संगीत - एन. दत्ता | फ़िल्म - दीदी | वर्ष - 1959

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बच्चों तुम तक़दीर हो कल के हिंदुस्तान की
बापू के वरदान की नेहरू के अरमान की
आज के टूटे खंडहरों पर तुम कल का देश बसाओगे
जो हम लोगों से न हुआ वो तुम करके दिखलाओगे
तुम नन्ही बुनियादें हो दुनिया के नए विधान की
दीन धर्म के नाम पे कोई बीज फूट का बोए ना
जो सदियों के बाद मिली है वो आज़ादी खोए ना
हर मजहब से ऊँची है क़ीमत इन्सानी जान की
फिर कोई जयचन्द न उभरे फिर कोई जाफ़र न उठे
ग़ैरों का दिल खुश करने को अपनों पर ख़ंजर न उठे
धन दौलत के लालच में तौहीन न हो ईमान की
नारी को इस देश ने देवी कहकर दासी जाना है
जिसको कुछ अधिकार न हो वो घर की रानी माना है
तुम ऐसा आदर मत लेना आड़ हो जो अपमान की
रह न सके अब इस दुनिया में युग सरमायादारी का
तुमको झंडा लहराना है मेहनत की सरदारी का
तुम चाहो तो बदल के रख दो क़िस्मत हर इन्सान की