एक दफा एक जंगल था - The Indic Lyrics Database

एक दफा एक जंगल था

गीतकार - गुलजार | गायक - कमल हासन | संगीत - इलयाराजा | फ़िल्म - सदमा | वर्ष - 1983

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एक दफ़ा एक जंगल था
उस जंगल में एक गीदड़ था
बड़ा लोफ़र बड़ा लीचड़ आवारा
जंगल पार एक बस्ती थी
उस बस्ती में वह जाता था
रोज़ाना
एक दफ़ा एक जंगल था ...एक दफ़ा उस बस्ती के
कुत्तों ने उसको देख लिया
इस मोड़ से उसको दौड़ाया
उस मोड़ पे जा के घेर लिया
जब कुछ ना सूझा गीदड़ को
दीवार से ऊपर कूदा
उस पार किसी का आँगन था
आँगन में नील की हांडी थी
वह नीली थी
उस नील में यूँ गिरा गीदड़
सब हो गया कीचड़ ही कीचड़
कीचड़
जितने थे जंगल में वह सब
गीदड़ का पानी भरने लगे
सब समझे कोई अवतार है वो
सब उसकी सेवा करने लगे
सावन के महीने में इक दिन
कुछ गीदड़ मिल के गाने लगे
नीले गीदड़ को जोश आया
बिरादरी पर इतराने लगा
और झूम के जब आलाप किया
आ आ
पहचाने गए और पकड़े गए
हर एक ने ख़ूब पिटाई की
और सबने ख़ूब धुनाई की
दे दनादन ले दनादन -२