जुल्फ है दोश पर सूरत हो तो ऐसी हो - The Indic Lyrics Database

जुल्फ है दोश पर सूरत हो तो ऐसी हो

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी, कोरस, तलत महमूद, सी रामचंद्र, फ्रांसिस वाज़ | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - बारिश | वर्ष - 1957

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त : आं
ज़ुल्फ़ है दोश पे या साँप है बलखाया हुआ
चाल जैसे मोर कोई रक्स में आया हुआ
ए दिल कि दुश्मन हैं ये आँखों के गुलाबी डोरे
बच के जायेगा कहाँ चोट कोई खाया हुआ
एक नज़र में दिल ले जाये -२
सूरत हो तो ऐसी हो -२
देख जिसे चन्दा शरमाये
सूरत हो तो ऐसी हो -२र : आ
एक एक अख तेरी पूरे सवा लख दी है ओ
ज़िंदगी साड्डी तेरे अग्गे फ़कत तख दी है ओ
सोंदियाँ जाग दियाँ होंठों पे नाम है तेरा ओ
ओ सोनियो तीसरी बार तेरी गली का आज फेरा है ओ
अरे देख के मुँह से निकले हाय -२
सूरत हो तो
को : ऐसी हो
सूरत हो तो ऐसी हो
एक नज़र में दिल ले जाये
सूरत हो तो ऐसी हो -२
देख जिसे चन्दा शरमाये
सूरत हो तो ऐसी हो -२एक नोज़ोर में दिल ले जाये -२
सूरत हो तो
को : ऐसी हो
सूरत हो तो ऐसी हो
एक नज़र में दिल ले जाये
सूरत हो तो ऐसी हो -२
देख जिसे चन्दा शरमाये
सूरत हो तो ऐसी हो -२चि : हाय रे हाय रे
बाट चलत है ठुमक ठुमक
था थई
बाट चलत है ठुमक ठुमक क्यूँ गोपी ब्रिंदाबन की
जो देखत सो सुध बुध भूलत पल छिन में तन मन की
ये दो नैना मद के प्याले केश ये घूँघर वाले
अरे रूप दास आया है ले के अभिलाषा दर्शन की
होय
अंग अंग बिजली लहराये -२
सूरत हो तो
को : ऐसी हो
सूरत हो तो ऐसी हो
एक नज़र में दिल ले जाये
सूरत हो तो ऐसी हो -२
देख जिसे चन्दा शरमाये
सूरत हो तो ऐसी हो -२