दुनिया भर के नास्तिक ज़ोर लगा ले अरे ज़माने - The Indic Lyrics Database

दुनिया भर के नास्तिक ज़ोर लगा ले अरे ज़माने

गीतकार - प्रदीप | गायक - लता मंगेशकर, सहगान, सी रामचंद्र | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - नास्तिक | वर्ष - 1954

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चि: दुनिया भर के नास्तिक कितने नमक हराम
अपना दोष न देखते प्रभू को करें बदनामज़ोर लगा ले अरे ज़माने कितना ज़ोर लगायेगा
इस जग में भगवान का झण्डा कभी न झुकने पायेगा
को: ओम हरि ओम हरि ओम हरि ओम
चि: प्रभू की निंदा करने वाला धरती में धँस जायेगा
इस जग में भगवान का झण्डा कभी न झुकने पायेगा
को: ओम हरि ओम हरि ओम हरि ओमचि: नहीं हुआ है कभी न होगा हरी सरीखा दानी
सारे जग को मुफ़्त दे रहा अगन पवन और पानी
पाल रहा अपनी धरती पर वो सबकी ज़िंदगानी
बदले में लेता न किसी से एक भी कौड़ी कानी
कौन जगत में अपना ख़ज़ाना हरि की तरह लुटायेगाको: इस जग में भगवान का झण्डा कभी न झुकने पायेगा
ओम हरि ओम हरि ओम हरि ओमचि: आये इस दुनिया में करोड़ों गये करोड़ों राही
कर्मों के अनुसार भोग कर ख़ुशियाँ और तबाही
लाख लाख सदियों से देते सूरज चाँद गवाही
प्रभू का आसन आज तलक है जैसा का तैसा ही
न कोई फ़ौज है न कोई पल्टन न है कोई सिपाही
फ़कत इशारों से चलता है काम प्रभू का शाही
ये आकाश पे लिखा लेख है इसको कौन मिटायेगाको: इस जग में भगवान का झण्डा कभी न झुकने पायेगा
ओम हरि ओम हरि ओम हरि ओम -४
ओम हरि ओम
ओम हरि ओम हरि ओम हरि ओम -४ल: धन्य प्रभू का चमत्कर है धन्य प्रभू की माया
धन्य प्रभू की माया
सुबह का भूला हुआ शाम को फिर वापस घर आया
धन्य प्रभू की माया
जादूगर भगवान ने मुझको क्या जादू दिखलाया -२
बहुत दिनों के बिछड़े साथी से फिर मुझे मिलाया -२
चि: घुटने टेक प्रभू के आगे -२
बेड़ा पार लगायेगा
को: इस जग में भगवान का झण्डा कभी न झुकने पायेगा
ओम हरि ओम हरि ओम हरि ओम
ज़ोर लगा ले अरे ज़माने कितना ज़ोर लगायेगा
इस जग में भगवान का झण्डा कभी न झुकने पायेगा
ओम हरि ओम हरि ओम हरि ओम -४
ओम हरि ओम -४