चमन में रह के वीराना - The Indic Lyrics Database

चमन में रह के वीराना

गीतकार - शकील | गायक - शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - दीदार | वर्ष - 1951

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चमन में रह के वीराना मेरा दिल होता जाता है

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चमन मे रह के वीराना मेरा दिल होता जाता है
खुशी में आज कल कुछ ग़म भी शामिल होता जाता है
चमन में रह के वीराना ...

(न जाने क्यों बदलती जा रही है ज़िंदगी मेरी
न जाने ज़िंदगी मेरी)-2
मैं दिल से बेख़बर दिल मुझ से ग़ाफ़िल होता जाता है
चमन में रह के वीरना ...

(ये उलझन और ये बेचैनी ये धड़कन और ये बेताबी
ये धड़कन और ये बेताबी)-2
मेरा दिल जाने किन तीरों से घायल होता जाता है
चमन में रह के वीरना ...$