कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना - The Indic Lyrics Database

कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना

गीतकार - निदा फाजली | गायक - महालक्ष्मी | संगीत - एम एम करीम | फ़िल्म - सुर | वर्ष - 2002

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कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी चाँद खिले तो मेरे दिल में आ जाना
मगर आना इस तरह तुम कि यहाँ से फिर ना जाना
तू नहीं है मगर फिर भी तू साथ है
बात हो कोई भी तेरी ही बात है
तू ही मेरे अन्दर है तू ही मेरे बाहर है
जब से तुझको जाना है मैने अपना माना है
मगर आना इस तरह तुम कि यहाँ से फिर ना जाना
रात-दिन की मेरी दिलक़शी तुमसे है
ज़िन्दगी की क़सम ज़िन्दगी तुमसे है
तुम ही मेरी आँखें हो सूनी तनहा राहों में
चाहे जितनी दूरी हो तुम हो मेरी बाँहों में
मगर आना इस तरह तुम कि यहाँ से फिर ना जाना