दिल जवाँ है आरज़ू जवाँ - The Indic Lyrics Database

दिल जवाँ है आरज़ू जवाँ

गीतकार - विश्वामित्र आदिल | गायक - तलत | संगीत - जयदेवी | फ़िल्म - समुंदरी डाकु | वर्ष - 1956

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दिल जवाँ है आरज़ू जवाँ
एक नज़र इधर भी मेहरबाँ
कब तलक ये हमसे बेरुख़ी
कब तलक रहेगी चुप ज़ुबाँ

ये क्या ग़ज़ब है दिलरुबा है अपने आप से ख़फ़ा
धरी रहेगी हर अदा जो दिल किसी पे आ गया
ग़ुरूर-ए-दिल रहेगा फिर कहाँ
एक नज़र इधर भी ...

वो हुस्न क्या जो रूठके निगाह को न फेर ले
वो इश्क़ क्या जो छेड़के न ज़ुल्फ़ को बिखेर दे
वो सोज़ क्या उठे न जो धुआँ
एक नज़र इधर भी ...

मैं जानता हूँ ऐ परी झुकी-झुकी नज़र तेरी
उठी तो हार जायेगी ज़रूर मुस्कुराएगी
न छुप सकेगी दिल की दास्ताँ
एक नज़र इधर भी ...

अजीब शै है प्यार भी कि जीत भी है हार भी
नशा भी है ख़ुमार भी ख़िज़ाँ भी है बहार भी
यही है दो दिलों की दास्ताँ
एक नज़र इधर भी ...

ग़ुरूर है न शान है हर एक अदा ज़ुबान है
यह कैसा इम्तहान है कि हुस्न मेहरबान है
ज़मीं पे झुक रहा है आसमाँ
एक नज़र इधर भी ...

तड़प क़रार बन गई ख़िज़ाँ बहार बन गई
दबी-दबी जो आग थी किसी का प्यार बन गई
मैं आ गई वहीं है दिल जहाँ
एक नज़र इधर भी ...$