कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता - The Indic Lyrics Database

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता

गीतकार - निदा फाजली | गायक - भूपेंद्र | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - आहिस्ता आहिस्ता | वर्ष - 1981

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कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता
बुझा सका है भला कौन वक्त के शोले
ये ऐसी आग है जिस में धुआँ नहीं मिलता
तेरे जहान में ऐसा नहीं के प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता