वो हम ना द वो तुम ना द वो रहगुजर थी प्यार की - The Indic Lyrics Database

वो हम ना द वो तुम ना द वो रहगुजर थी प्यार की

गीतकार - नीरज | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - इकबाल कुरैशी | फ़िल्म - चा चा चा | वर्ष - 1964

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( वो हम न थे वो तुम न थे ) -२ वो रहगुज़र थी प्यार की
लुटी जहाँ पे बेवजह ( पालकी बहार की ) -२
वो हम न थे ...( ये खेल था नसीब का ) -२ न हँस सके न रो सके
न तूर पर पहुँच सके न दार पर ही सो सके
कहानी किससे ये कहें चढ़ाव की उतार की
लुटी जहाँ पे ...तुम्हीं थे मेरे रहनुमा तुम्हीं थे मेरे हमसफ़र
तुम्हीं थे मेरी रोशनी तुम्हीं ने मुझको ( दी नज़र ) -२
( बिना तुम्हारे ज़िन्दगी ) -२ शमा है इक मज़ार की
लुटी जहाँ पे ...( ये कौन सा मुक़ाम है ) -२ फ़लक नहीं ज़मीं नहीं
के शब नहीं सहर नहीं के ग़म नहीं ख़ुशी नहीं
कहाँ ये लेके आ गई हवा तेरे दयार की
लुटी जहाँ पे ...गुज़र रही है तुमपे क्या बनाके हमको दर-ब-दर
ये सोच के उदास हूँ ये सोच कर है ( चश्म तर ) -२
( न चोट है ये फूल की )-२ न है ख़लिश ये ख़ार की
लुटी जहाँ पे ...