दिल हमसे वो लगाएँ जो हँसके तीर खाएँ - The Indic Lyrics Database

दिल हमसे वो लगाएँ जो हँसके तीर खाएँ

गीतकार - खुमार बाराबंकवी | गायक - लता, मुबारक बेगम, सहगान | संगीत - नशद | फ़िल्म - बारादरी | वर्ष - 1955

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लता:
दिल हमसे वो लगाएँ जो हँसके तीर खाएँ
जिनको हो जान प्यारी
जिनको हो जान प्यारी, वो सामने न आएँ
साथी:
जिनको हो जान प्यारी ...
लता:
जिनको हो जान प्यारी, वो सामने न आएँ

मुबारक:
दुनिया में आशिक़ों का मेला लगा हुआ है
लता:
देखो यहाँ जिसे भी मजनूँ बना हुआ है
हम किसका हाल पूछें
हम किसका हाल पूछें, हम किसके नाज़ उठाएँ
साथी:
हम किसका हाल पूछें ...
मुबारक:
जिनको हो जान प्यारी, वो सामने न आएँ

लता:
दुश्मन हैं ख़ुद ही अपने, दिल की लगी के मारे
लता, साथी:
दिल की लगी के मारे ...
मुबारक:
भरते हैं ख़ुद ही आहें
भरते हैं ख़ुद ही आहें, गिनते हैं ख़ुद ही तारे
इल्ज़ाम है ये हम पर, करते हैं हम जफ़ाएँ
साथी:
इल्ज़ाम है ये हम पर ...
लता:
जिनको हो जान प्यारी, वो सामने न आएँ

मुबारक:
रो-रोके आँसुओं के दरिया बहानेवाले
लता:
इतना नहीं समझते
इतना नहीं समझते उल्फ़त जतानेवाले
आँसू वही हैं मोती
आँसू वही हैं मोती, दामन पे जो न आएँ
साथी:
आँसू वही हैं मोती ...
जिनको हो जान प्यारी ...
दिल हमसे वो लगाएँ ...
जिनको हो जान प्यारी ...$