ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा - The Indic Lyrics Database

ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - काजल | वर्ष - 1965

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ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा
इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा
ये ज़ुल्फ़ ...जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है
बाक़ी भी उसी तरह गुज़र जाए तो अच्छा
ये ज़ुल्फ़ ...दुनिया की निगाहों में बुरा क्या है भला क्या
ये बोझ अगर दिल से उतर जाए तो अच्छा
ये ज़ुल्फ़ ...वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है
इल्ज़ाम किसी और पे आ जाए तो अच्छा
ये ज़ुल्फ़ ...