किसी दीपक की धुन में बिचारा - The Indic Lyrics Database

किसी दीपक की धुन में बिचारा

गीतकार - मजरूह | गायक - शमशाद | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - NA | वर्ष - 1947

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न तड़पने की इजाज़त है न फ़रियाद की है

न तड़पने की इजाज़त है न फ़रियाद की है

घुट के मर जाऊँ ये मर्ज़ी मेरे सैयाद की है

कोई दुनिया में हमारी तरह बरबाद न हो

दिल तो रोत हो मगर होंठों पे फ़रियाद न हो

दिल तो रोत हो मगर

दे के इक प्यार भरा दिल मेरी क़िसमत ने कहा

जा तेरे प्यार की दुनिया कभी आबाद न हो

दिल तो रोत हो मगर

पहले छीना था तुझे अब लेली निशानी तेरी

दुनिया कहती है के दिल में भी तेरी याद न हो

दिल तो रोत हो मगर