सोचता क्या है सुदर्शन के चलानेवाले - The Indic Lyrics Database

सोचता क्या है सुदर्शन के चलानेवाले

गीतकार - केदार शर्मा | गायक - मुकेश, हमीदा | संगीत - बी वासुदेव | फ़िल्म - नील कमल | वर्ष - 1947

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सुनाऊँ क्या मैं ग़म अपना ज़ुबाँ तक ला नहीं सकता

जो गाना चाहता है दिल वोही मैं गा नहीं सकता

वोही मैं गा नहीं सकता

सुनाऊँ क्या

मिले हैं ग़ैर से हँस कर वो मेरे सामने हाये

वो मेरे सामने हाये

लगी है ठेस वो दिल पर के मैं बतला नहीं सकता

कि मैं बतला नहीं सकता

सुनाऊँ क्या मैं ग़म अपना ज़ुबाँ तक ला नहीं सकता

सुनाऊँ क्या

मेरी हसरत भरी नज़रों को अब तक जो नहीं समझा

उसे मैं दर्दएदिल अपना कभी समझा नहीं सकता

कभी समझा नहीं सकता

सुनाऊँ क्या मैं ग़म अपना ज़ुबाँ तक ला नहीं सकता

सुनाऊँ क्या

सिवा तेरे बहुत हैं हुस्न वाले भी ज़माने में

हुस्न वाले भी ज़माने में

मगर मुश्किल ये है अब दिल किसी पर आ नहीं सकता

किसी पर आ नहीं सकता

सुनाऊँ क्या मैं ग़म अपना ज़ुबाँ तक ला नहीं सकता

सुनाऊँ क्या