अजब है दास्ताँ तेरी ऐ ज़िंदगी - The Indic Lyrics Database

अजब है दास्ताँ तेरी ऐ ज़िंदगी

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - रफी | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - शरारात | वर्ष - 1959

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अजब है दास्ताँ तेरी ऐ ज़िंदगी ) 2
कभी हँसा दिया रुला दिया कभी
अजब है दास्ताँ तेरी ऐ ज़िंदगी

तुम आई माँ की ममता लिये तो मुस्कुराये हम
( के जैसे फिर से अपने बचपन में लौट आये हम ) 2
( तुम्हारे प्यार के ) 2
इसी (????) आँचल तले
( फिर से दीपक जले ) 2 (????)
ढला अंधेरा जगी रोशनी (????)
अजब है दास्ताँ ...

मगर बड़ा है संगदिल है ये मालिक तेरा जहाँ
( यहाँ माँ बेटो पे भी लोग उठाते है उंगलियाँ ) 2
( कली ये प्यार की ) 2
झुलस के रह गई (????)
( हर तरफ़ आग थी ) 2 (????)
हँसाने आई थी रुलाकर चली
अजब है दास्ताँ ...$