बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना - The Indic Lyrics Database

बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - गीता दत्त | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - आर पार | वर्ष - 1954

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बाबूजी धीरे चलना, प्यार में ज़रा संभलना
हाँ बड़े धोखे हैं, बड़े धोखे हैं इस राह में
क्यो हो खोये हुये, सर झूकाये
जैसे जाते हो सब कुछ लुटाये
ये तो बाबूजी पहला कदम है
नज़र आते हैं अपने पराये
ये मोहब्बत है ओ भोलेभाले
कर ना दिल को गमों के हवाले
काम उल्फ़त का नाज़ूक बहोत है
आ के होठों पे टूटेंगे प्याले
हो गयी है किसी से जो अनबन
थाम ले दूसरा कोई दामन
जिंदगानी की राहें अजब हैं
हो अकेला तो लाखों हैं दुश्मन