आई हैं बहारें मिटे ज़ुल्म - The Indic Lyrics Database

आई हैं बहारें मिटे ज़ुल्म

गीतकार - शकील | गायक - रफी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - राम और श्याम | वर्ष - 1967

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आई हैं बहारें मिटे ज़ुल्म-ओ-सितम
प्यार का ज़माना आया दूर हुए ग़म
राम की लिला रंग लाई
अ-हा हा
शाम ने बंसी बजाई
अ-हा हा-हा
चमका है इनसाफ़ का सूरज फैला है उजाला
उजाला,
चमका है इनसाफ़ का सूरज फैला है उजाला
नई उमंगें संग लायेगा हर दिन आनेवाला
आनेवाला,
नई उमंगें संग लायेगा हर दिन आनेवाला
हो हो
मुन्ना गीत सुनायेगा
टुन्ना ढोल बजायेगा
मुन्ना गीत सुनायेगा, टुन्न ढोल बजायेगा
संग-संग मेरी छोटी मुन्नी नाचेगी छम-छम
रफ़ी + कोरस:
आई हैं बहारें मिटे ज़ुल्म-ओ-सितम
प्यार का ज़माना आय दूर हुए ग़म
राम की लीला रंग लाई
अ-हा हा
शाम ने बंसी बजाई
अ-हा हा-हा
अब न होंगे मजबूरी के इस घर में अफ़साने
अब ना होंगे मजबूरी के इस घर में अफ़साने
प्यार के रंग में रंग जायेंगे सब अपने बेगाने
प्यार के रंग में रंग जायेंगे सब अपने बेगाने
हो हो हो
सब के दिन फिर जायेंगे
मंज़िल अपनी पायेंगे
जीवन के तराने मिलके गायेंगे हरदम
हो
आई हैं बहारें मिटे ज़ुल्म-ओ-सितम
प्यार का ज़माना आय दूर हुए ग़म
राम की लीला रंग लाई
अ-हा हा
शाम ने बंसी बजाई
अ-हा हा-हा
आ-आ
आ-आ