गीतकार - गुलजार | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - गोल माल | वर्ष - 1979
View in Romanएक बात कहूँ गर मानो तुम
सपनों में ना आना जानो तुम
मैं नींद में उठकर चलती हूँ
जब देखती हूँ सच मानो तुम
कल भी हुआ की तुम गुज़रे थे पास से
थोड़े से अनमने थोड़े उदास थे
भागी थी मनाने नींद में लेकिन सोफे से गिर पड़ी
परसो की बात है तुमने बुलाया था
तुम्हारे हाथ में चेहरा छुपाया था
चूमा था हाथ को नींद में लेकिन पाया पलंग का था
उस दिन भी रात को तुम ख्वाब में मिले
और ख़ामखा के बस करते रहे गीले
काश ये नींद और ख्वाब के यूँ ही
चलते रहे सिलसिले