क़िस्मत में डूबना है मौजों से - The Indic Lyrics Database

क़िस्मत में डूबना है मौजों से

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सरदार मलिक | फ़िल्म - चोर बाजार | वर्ष - 1950

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क़िस्मत में डूबना है मौजों से क्या डरेंगे-२
मालिक के आसरे पे कश्ती को छोड़ देंगे
कश्ती को छोड़ देंगे
मिला जायेगा हमें भी तूफ़ान में किनारा

दर-दर की ठोकरें हैं कोई नहीं सहारा
अब मेरी ज़िंदगी है टूटा हुआ सितारा
दर-दर की ठोकरें हैं