किसे मालूम था दो दिन में सावन बीत जायेगा - The Indic Lyrics Database

किसे मालूम था दो दिन में सावन बीत जायेगा

गीतकार - NA | गायक - सुरैया | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - विद्या | वर्ष - 1948

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कोई दिन ज़िन्दगी के गुनगुना कर ही बिताता है

कोई दिन ज़िन्दगी के गुनगुना कर ही बिताता है

कोई पा कर के खोता है कोई खो कर के पाता है

हमारी ज़िन्दगी भी क्या कभी हँसना कभी रोना

जिसे हम अपना कहते हैं वो हमसे दूर जाता है

उम्मीदें लुट गईं जिसकी तसव्वुर छिन गया जिसका

वो कश्ती आप ही गहरे समन्दर में डुबाता है

अगर दिल हो गया वीराँ करूँगा मौत से उल्फ़त

किसी बदहाल पर अब कौन दो आँसू बहाता है

किसी के चैन से आराम से क्या वास्ता अपना

न कोई साथ देता है न कोई पास आता है