ये गोतेदार लहंगा निकलुउन जब दाल के - The Indic Lyrics Database

ये गोतेदार लहंगा निकलुउन जब दाल के

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - धरम कांटा | वर्ष - 1982

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आ : ( ये गोटेदार लहँगा
निकलूँ जब डाल के ) -३
छुरियाँ चल जायेँ
( छुरियाँ चल जायेँ
मेरी मतवाली चाल पे ) -२र : ( जलवे फिर देख गोरी
मेरी भी चाल के ) -२
चुनरी बँध जाये
( चुनरी बँध जाये तेरी
मेरे रूमाल से ) -२आ : दिर दा रा -४आ : ( एक तो बाबू शीशे जैसी
चिकनी मेरी जवानी
दूजे उमर मसतानी ) -२
हो मेरे बदन पर ऐसे फिसले
तेरी नज़र दीवानी
जैसे ढलकता पानी पानी
( अँखियाँ मिलाना हमसे
छलिया सम्भाल के ) -२छुरियाँ चल जायेँ -२
मेरी मतवाली चाल पे
र : चुनरी बँध जाये तेरी
मेरे रूमाल सेर : हे
( आज हमारी एक नजर ने
क्या आफ़त कर डाली
देख ज़रा मतवाली ) -२
कहाँ-कहाँ से मसकी तेरी
कुरती रेशम वाली
झलके बदन की लाली लाली
( तू भी कमाल की है
हम भी कमाल के ) -२चुनरी बँध जाये -२
तेरी मेरे रूमाल से
आ : छुरियाँ चल जायेँ
मेरी मतवाली चाल पेआ : दिर दा रा -४आ : ( मन के चोर नहीं चलने दूँ
आज तुम्हारी चोरी
मैं अलबेली छोरी ) -२
र : मैं तो उड़ा लूँ आँख से काजल
चाहें खुली हो गोरी
दोनों अँखियाँ तोरी
आ : जा-जा
( ऐसों को रखती हूँ मैं
खीसे में डाल के ) -२छुरियाँ चल जायेँ -२
मेरी मतवाली चाल पे
र : चुनरी बँध जाये
तेरी मेरे रूमाल से