सिने पे रख के सर को कहीं खो गे द हम - The Indic Lyrics Database

सिने पे रख के सर को कहीं खो गे द हम

गीतकार - समीर | गायक - | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - नसीब | वर्ष - 1998

View in Roman

सीने पे रख के सर को कहीं खो गए थे हम
थे इतने करीब के एक हो गए थे हम
सीने पे रख के सर ...मुद्दत की प्यास थी तेरे होंठों का रस पिया
तेरे हसीन जिस्म को नज़रों से छू लिया
जादू बिखेरती थी समंदर की तर हवा
सिंदूर बन गया था हर इक ज़र्रा रेत का
आँखें खुली खुली थीं मगर सो गए थे हम
थे इतने करीब के ...कोई न फ़ासला रहा साँसों के दरमियां
हर बात हो रही थी खामोश थी ज़ुबां
अरमां सिमट रहे थे बहारों की सेज पर
अहसास की गरमी थी दोनों थे बेखबर
दोनों जहां को पल भर भुला तो गए थे हम
थे इतने करीब के ...