कब तक निरास की अंधियारी भाई जगत उजियारी - The Indic Lyrics Database

कब तक निरास की अंधियारी भाई जगत उजियारी

गीतकार - | गायक - पंकज मलिक | संगीत - पंकज मलिक | फ़िल्म - डॉक्टर | वर्ष - 1941

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कब तक निरास की
अन्धियारी
कब तक निरास की
आस की दामिन दमका देगी
यही बदरिया कारी
कब तक निरास कीसूखे पेड़ की डार-डार है
रस की भरी पिचकारी
जैसे लाज का घूँघट काढ़े
कोई सुन्दर नारीआस की दामिन दमका देगी
यही बदरिया कारी
कब तक निरास कीकजरी रैन ही होत समझो
कारे नयन की ज्योती -२
जुगनू
जुगनू बन के चमक रही है
छुपी हुई उजियारीआस की दामिन दमका देगी
यही बदरिया कारी
कब तक निरास कीहुआ भी ऐसा ही
निराशा की काली बदरिया उमड़-घुमड़ के बरसी तो
लेकिन उसी में आशा की किरन फूट पड़ी
औरभई जगत उजियारी -२
झलक थी जिसकी अन्धियारी में
यही थी वो उजियारी
देखो
भई जगत उजियारीबन गई काजल जागी आँख का
सिमट के रैन अन्धियारी
भई जगत उजियारी( नैनन-जल से सींचा था जिसको
हरी हुई वो क्यारी ) -२
बिगड़ी बनाने वाले तूने
रख ली लाज हमारीभई जगत उजियारीबन गई काजल जागी आँख का
सिमट के रैन अन्धियारी
भई जगत उजियारी