हो ये मन मेरा बड़ा हि छलिया: - The Indic Lyrics Database

हो ये मन मेरा बड़ा हि छलिया:

गीतकार - समीर | गायक - बाबुल सुप्रियो, अभिजीत | संगीत - शंकर एहसान लॉय | फ़िल्म - एक और एक ग्यारह: | वर्ष - 2003

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( हो ये मन मेरा बड़ा ही छलिया
माफ़ करो ब्रजबसिया -२ ) -२
राधाजी के मन में बसें हम
मन में बसें हम
हाँ धन में बसें हम
ऐसा करो कुछ रसिया
माफ़ करो ब्रजबसियाहोय ( राधा भी यहीं मीरा भी यहीं
इन्हें छोड़के तू जाना ना कहीं ) -२
माफ़ करो ब्रजबसिया -२कितनी मोहनी मूरत तेरी देखूँ हर घड़ी बस तुझको
कितनी सोहनी सूरत तेरी भाए अब यही बस मुझको
तेरे इस दर पे हैं आए सवाली
भरोसा हमें है ना जायेँगे खाली
दया अब करो
ये झोली तो भरो
तुम्हारा सहारा भँवर में किनारा
हो सब कहते तुम अन्तरयामी पढ़ लो जिया की पतिया
ऐसा करो कुछ रसिया
हे राधा भी यहीं मीरा भी यहीं
इन्हें छोड़के हे तू जाना ना कहीं हे
को : राधा भी यहीं मीरा भी यहीं
औ ओ
इन्हें छोड़के तू जाना ना कहीं
औ ओराधा राधा तेरे प्यार में मैं हो गया हूँ आधा
हम अपनी आँखों में तेरा ही रूप बसाये रे
मुड़ के देख हमें खड़े हैं तेरे दायें-बायें रे
हम दिल के रोगी रे
हम दिल के रोगी रे
कोई ना जाने हम दीवाने प्रेम के जोगी रे
ना ये घर छोड़ के जाँगे ना जाएँगे
को : ना जाएँगे ना जाएँगे
ना ये घर छोड़ के जाएँगेकाटे कटे ना अब तो अकेले बिरहा की सूनी रतिया
कुछ तो करो ब्रजबसिया
हुर्र राधा भी यहीं मीरा भी यहीं
इन्हें छोड़के जाना ना कहीं
को : राधा भी यहीं ओ ओ
मीरा भी यहीं ओ ओ
इन्हें छोड़के ओ ओ
तू जाना ना कहींहो ये मन मेरा बड़ा ही छलिया
माफ़ करो ब्रजबसिया -२
माफ़ करो ब्रजबसिया -२