हर आदमी को बीवी का गुलाम होना चाही - The Indic Lyrics Database

हर आदमी को बीवी का गुलाम होना चाही

गीतकार - अंजान | गायक - अलका याज्ञनिक, किशोर कुमार | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - हीरासत | वर्ष - 1987

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हर आदमी को बीवी का गुलाम होना चाहिए
घर में आते जाते ही सलाम होना चाहिए
प्रणाम होना चाहिये सलाम होना चाहिएअरे moodमें हो ये लक्ष्मी जो सभी सुखों की दाता
पर बिगड़ जाए तो बन जाए साक्षात कालिका माता
मर्द की हालत मर्द ही जाने कोई समझ न पाए
इधर है बीवी उधर नौकरी बीच में झोले खाए
बीवी को स.म्भाले नौकरिया छूट जाए रे
लेकिन लेकिन कुछ भी हो जाए
अरे घर को बनाए रखने को ये काम होना चाहिये
श्रीमती जी को बिल्कुल आराम होना चाहियेआज हमारी शादी की सालगिरह थी तुम्हें घर जळी आना था
हम दोनों को बाहर जाना था किसी बड़े होटल में खाना था
अब कौन बनाएगा खाना खाना पकाएगा तुम्हारा दीवाना
आज ऐसा पकाऊंगा उंगली चाटेगीये आटा है ये चावल है ये दाल है ये चावल है
य है केला ये केली करेला करेली
ये मूली बिचारी अकेली अकेली
खाना चटपटा और मसालेदार
अब आ जाओ मेरी सरकार
तुम्हें पुकारें
पहले आप ना ना ना पहले आप
हर आदमी को बीवी का ...