हर छेहरा यहाँ चाँद तो हर ज़र्रा सितारा - The Indic Lyrics Database

हर छेहरा यहाँ चाँद तो हर ज़र्रा सितारा

गीतकार - जी एस रावल | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - सोनिक-ओमी | फ़िल्म - आबरु | वर्ष - 1968

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हर चेहरा यहाँ चाँद तो हर ज़र्रा सितारा
ये वादी-ए-कश्मीर है ( जन्नत का नज़ारा ) -२
हर चेहरा यहाँ ...हँसती हैं जो कलियाँ तो हसीं फूल हैं खिलते
हैं लोग यहाँ जैसे उतर आए फ़रिश्ते
हर दिल से निकलती है यहाँ प्यार की धारा
ये वादी-ए-कश्मीर ...ये चोटियाँ बरफ़ों की हैं आज़ादी का परचम
हँसती है ग़ुलामी पे ये इनसान की हरदम
देती है आकाश को बाँहों का सहारा
ये वादी-ए-कश्मीर ...दिन-रात हवा साज बजाती है सुहाने
नदियों के लबों पर हैं मुहब्बत के तराने
मस्ती में है डूबा हुआ बेहोश किनारा
ये वादी-ए-कश्मीर ...ये जलवा-ए-रंगीं है किसी ख़्वाब की ताबीर
या फूलों में बैठी हुई दुल्हन की है तस्वीर
या थम गया चलता हुआ परियों का शिकारा
ये वादी-ए-कश्मीर ...