ज़रा बोलो री हाँ - The Indic Lyrics Database

ज़रा बोलो री हाँ

गीतकार - पंडित माधुरी | गायक - मुकेश, कुसुम | संगीत - फिरोज निजामी | फ़िल्म - हमें पार | वर्ष - 1944

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ज़रा बोलो री हाँ


ज़रा बोलो री हाँ
ज़रा बोलो क्या लोगी इस दिल का किराया
ज़रा बोलो ...

इस मुम्बई में खाली इक room नहीं है
और पगड़ी है करती जेबों का सफ़ाया
रुपयों का सफ़ाया नोटों का सफ़ाया
ज़रा बोलो ...

कु : मेरे दिल की कोठरिया हो दिल की कोठरिया To let नहीं है
इसको बनिए ने ग़ुड़ का गोदाम बनाया
मु : ज़रा बोलो ...

जब गुड़ है तो चूहों की दौड़ रहेगी
तेरी और बनिए की जोड़ी बेजोड़ रहेगी
उस बनिए ने कितना भाड़ा है चुकाया
ज़रा बोलो ...

female : गुजराती कहते सौ पंजाबी कहते
सौ-सौ के पाँच नोट लो
और बीकानेरी कहते हमसे पाँच हज़ार लो
शिकारपुरी कहते हैं मुझसे जो चाहो सो लो

कु : लेकिन ( कोठरिया दो ) -2 तुम्हीं सोचो
इस पगड़ी ने मेरा है ( मोल बढ़ाया ) -2
मु : ज़रा बोलो ...