दिल के विराने में इक शम्मा हैं - The Indic Lyrics Database

दिल के विराने में इक शम्मा हैं

गीतकार - कतील शिफाई, हिमायत अली शायरी | गायक - माला | संगीत - मास्टर इनायत हुसैन | फ़िल्म - नैला (पाकिस्तानी-फिल्म) | वर्ष - 1965

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दिल के वीराने में इक शम्मा है अब तक रोशन -२
कोई परवाना मगर अब न इधर आयेगा -२ज़िंदगी बीत गई प्यार में जलते-जलते
कोई उम्मीद पराई न कोई दोस्त बनी
जगमगाया न सितारा कोई अरमानों का
हमने दिल को भी जलाया तो सियाह रात बनी
दिलजलों पर कोई महशर सा गुज़र जायेगा
कोई परवाना मगर अब न इधर आयेगाकितने गाते हुए अरमानों की बरसात के बाद
आस की झील में लहराये थे कुछ नील-कँवल
क्या ख़बर थी के वो महफ़िल ही उजड़ जायेगी
जिसमें गाई थी कभी हमने मोहब्बत की ग़ज़ल
अपना हर नग़मा ख़लाओं में बिखर जायेगा
कोई परवाना मगर अब न इधर आयेगाइतने बे-हिस तो हुआ करते नहीं अहल-ए-वफ़ा
जाने क्या सोच के तौहीन-ए-वफ़ा की तूने
कोई झोंका भी जिसे छू न सका तेरे बग़ैर
अपने हाथों से वही शम्मा बुझा दी तूने
क्या ख़बर थी तेरा अहसास भी मर जायेगा
कोई परवाना मगर अब न इधर आयेगा -२