कजारे बदरवा रे मर्ज़ी तेरी है क्या ज़ालिमा - The Indic Lyrics Database

कजारे बदरवा रे मर्ज़ी तेरी है क्या ज़ालिमा

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - पति पत्नी | वर्ष - 1966

View in Roman

कजरे बदरवा रे, मर्ज़ी तेरी है क्या ज़ालिमा
ऐसे न बरस ज़ुल्मी, कह न दूँ किसीको मैं बालमा
कजरे बदरवा ...कहीं गिर जाए न बिंदिया, कहीं उड़ जाए न निंदिया -२
काली काली आने वाली
काली काली आने वाली बरखा की रात है
कजरे बदरवा ...र्हिमझिम वाली चुनरिया ओढ़े हुए आयी बदरिया-२
झोओमें ऐसे, गोरी जैसे
झोओमें ऐसे, गोरी जैसे सजना के साथ है
कजरे बदरवा ...इस भीगी-भीगी हवा ने कानों में कहा क्या न जाने -२
मैं शर्माई, मैं घबराई
मैं शर्माई, मैं घबराई ऐसी कोई बात है
कजरे बदरवा ...