आँखों में रंग क्यूँ आया - The Indic Lyrics Database

आँखों में रंग क्यूँ आया

गीतकार - हसरत | गायक - मुकेश, लता | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - एक फूल चार कांटे | वर्ष - 1960

View in Roman

आँखों में रंग क्यूँ आया बोलो नशा सा क्यों छाया
हमको ये राज़ बतलाओ दिल खो के तुमने क्या पाया
चमकी नसीब की राहें हम क्यूँ न आज इतराएँ
राहों से हट गए काँटे तो फूल क्यूँ न मुस्काएँ
आँखों में रंग ...
मुखड़े पे सुबह की धूप ये खिलता-खिलता रूप
काजल लकीर चितवन के तीर ये नैना रूप अनूप
तुम क्या समझो ये राज़ उल्फ़त के ये अन्दाज़
सुन के ज़रूर होगा ग़ुरूर और करने लगोगे नाज़
ऐसा ख़्याल मत कीजे हम से ये भेद कह दीजे
हम भी तो आप ही के हैं हमसे यूँ शर्म ना कीजे
चमकी नसीब की राहें ...
आँखों में रंग ...
तरसाओ न यूँ हमदम तुम्हें नाज़-ओ-अदा की क़सम
जल्दी से बोल दो ये राज़ खोल दो परदा उठा दो सनम
हरगिज़ न कहूँगी ये बात जोड़ोगे न जब तक हाथ
बनके नसीब रहना क़रीब ज्यूँ तारे चाँद के साथ
तुमसे जुदा न होंगे हम बदलें हज़ार ये आलम
हम तुमपे जान दे देंगे गाती है साँस की सरगम
आँखों में रंग ...