चाहे कितनी कथिन दगर हो - The Indic Lyrics Database

चाहे कितनी कथिन दगर हो

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - सुरैया, शंकर दासगुप्ता | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - जीत | वर्ष - 1949

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श : य कही
दो : ( चाहे कितनी कठिन डगर हो
हम क़दम बढ़ाते जायेंगे
क़दम बढ़ाते हँसते-गाते
धूम मचाते जायेंगे ) -२
चाहे कितनी कठिन डगर होसु : जिस पथ पर तुम चरन धरोगे -२
अपने नैन बिछाऊँगी
( तुमरे पथ के काँटों को]
पलकों से उठाती जाऊँगी ) -२
जब लग प्रान रहेंगे -२
दो : एक-दूजे का साथ निभायेंगेक़दम बढ़ाते जायेंगे
क़दम बढ़ाते हँसते-गाते
धूम मचाते जायेंगे
चाहे कितनी कठिन डगर होश : इस दुखियारे जग में तुम ही
नैनन का उजियारा हो
( सूने-लम्बे जीवन-पथ का
तुम ही एक सहारा हो ) -२
तुम संग हो तो पाँव मेरे
कभी न ठोकर खायेंगेदो : क़दम बढ़ाते जायेंगे
क़दम बढ़ाते हँसते-गाते
धूम मचाते जायेंगे
चाहे कितनी कठिन डगर होसु : ( हमको मिल कर इस दुखियारे
जग को स्वर्ग बनाना है ) -२
( सब अपने हैं सबको
मानवता का प्यार सिखाना है ) -२
श : जो सबको उजियारा दे
सु : जो सबको उजियारा दे
दो : एक ऐसी ज्योत जलायेंगे
क़दम बढ़ाते जायेंगे
क़दम बढ़ाते हँसते-गाते
धूम मचाते जायेंगे
चाहे कितनी कठिन डगर हो