सीने में आग भड़कती है आँखों से पानी बहता है - The Indic Lyrics Database

सीने में आग भड़कती है आँखों से पानी बहता है

गीतकार - सरशर सैलानी | गायक - सुरैया, रफी | संगीत - हुस्नलाल -भगतराम | फ़िल्म - नाच | वर्ष - 1949

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सोचता क्या है सुदर्शन के चलानेवाले

सोचता क्या है सुदर्शन के चलानेवाले -2
उठके अब बिगड़ी बना बिगड़ी बनानेवाले -2
सोचता क्या ...

<स्पोकेन्> ये कौन ग रहा है इस वक़्त?

सर पे जब टूट पड़े ...
सर पे जब टूट पड़े रन्ज-ओ-मुसीबत के पहाड
लाज रख दे ऐ गोवर्धन के उठानेवाले -2
सोचता क्या है सुदर्शन के चलानेवाले
सोचता क्या ...

<स्पोकेन्> आज भगवान को फ़ुर्सत नहीं(?), ताज शागिर्द कहने आये
हैं

देश का नाश हो फिर रास रचाना कैसा, रास रचाना कैसा -2
अब तो तलवार पकड बंसी बजानेवाले -2

सोचता क्या है सुदर्शन के चलानेवाले
उठके अब बिगड़ी बना बिगड़ी बनानेवाले
सोचता क्या है...