बंगले के पिच्छे तेरी बेरी के निचे कांटा लगा - The Indic Lyrics Database

बंगले के पिच्छे तेरी बेरी के निचे कांटा लगा

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - समाधि: | वर्ष - 1972

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बंगले के पीछे तेरी बेरी के नीचे
हाय रे पिया आहा रे आहा रे आहा रे पिया
काँटा लगा
हाय लगा
हा आजा हा राजाबंगले के पीछे तेरी बेरी के नीचे
हाय रे पिया आहा रे आहा रे आहा रे पिया
काँटा लगा
हाय लगा
हा राजा हा राजाबंगले के पीछे तेरी बेरी के नीचे
हाय रे पिया( बिंदिया छिपाये रे लाली चुनर ओड़ के मूंद के मुखड़ा अपना
निकली अंधेरे में दुनिया के डर से मैं सजना ) -२
रात बैरन हुई ओ रे साथिया
देख हालत मेरी आ लेकर जियाबंगले के पीछे तेरी बेरी के नीचे
हाय रे पिया आहा रे आहा रे आहा रे पिया
काँटा लगा
हाय लगा
हा आजा हा राजाबंगले के पीछे तेरी बेरी के नीचे
हाय रे पिया( आई मुसीबत तो अब सोचती हूँ मैं क्यूँ रह सकी ना तेरे बिन
सच ही तो कहती थीं सखियाँ फँसेगी तू एक दिन ) -२
भूल तो हो गई जो किया सो किया
तू बचा ले बलम आज मेरा जियाबंगले के पीछे तेरी बेरी के नीचे
हाय रे पिया आहा रे आहा रे आहा रे पिया
काँटा लगा
हाय लगा
हा आजा हा राजाबंगले के पीछे तेरी बेरी के नीचे
हाय रे पिया( सबको पुकारे अनाड़ी न समझे ये मिलने का सारा जतन है
कैसे बताऊँ ये चाहत की सैयाँ चुभन है ) -२
ये वो काँटा सजन जाये लेकर जिया
नैन सुईं लगे तो निकले पियाबंगले के पीछे तेरी बेरी के नीचे
हाय रे पिया आहा रे आहा रे आहा रे पिया
काँटा लगा
हाय लगा
हा आजा हा राजाबंगले के पीछे तेरी बेरी के नीचे
हाय रे पिया -२
हाय रे