ऐ पर्दानशीं ये इश्क़ कहीं पर्दों में छुपाया जाता है - The Indic Lyrics Database

ऐ पर्दानशीं ये इश्क़ कहीं पर्दों में छुपाया जाता है

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता, कोरस | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - तीरंदाज़ | वर्ष - 1955

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ऐ पर्दानशीं ये इश्क़ कहीं पर्दों में छुपाया जाता है
नादान कहीं इन शोलों को सीने में दबाया जाता है
को: आ आ आ

ल: पर्दों में अभी होने दे जवाँ अँदाज़ ये तीरंदाज़ी के
अँदाज़ ये सब रह जाते हैं जब तीर चलाया जाता है
को: ऐ पर्दानशीन...

ल: माना के ज़बाँ ख़ामोश रहे आँखों पे मगर काबू किसका
माना के ज़बाँ ख़ामोश रहे आँखों पे मगर काबू किसका
अफ़साना-ए-दिल होंठों से नहीं आँखों से सुनाया जाता है
को: ऐ पर्दानशींथ्रेदोत्स

ल: इस आग का बुझना मुश्किल है इस राज़ का छुपना मुश्किल है
होते हैं जहाँ भर में चरचे, जितना ये छुपाया जाता है
को: ऐ पर्दानशीं...$