ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर के - The Indic Lyrics Database

ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर के

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - संगम | वर्ष - 1964

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ये मेरा प्रेमपत्र पढ़ कर के
कि तुम नाराज ना होना
कि तुम मेरी ज़िंदगी हो-२तुझे मैं चाँद कहता था
मगर उसमें भी दाग़ है
तुझे सूरज मैं कहता था
मगर उसमें भी आग है
तुझे इतना ही कहता हूँ
कि मुझको (तुमसे प्यार है-३)
ये मेरा प्रेमपत्र ...तुझे गंगा मैं समझूँगा
तुझे जमुना मैं समझूँगा
तू दिल के पास है इतनी
तुझे अपना मैं समझूँगा
अगर मर जाऊँ रूह भटकेगी
तेरे (इंतजार में-३)
ये मेरा प्रेमपत्र पढ़ कर के
कि तुम नाराज ना होना
कि तुम मेरी ज़िंदगी हो
कि तुम मेरी बंदगी हो