अगर बेवफ़ा तुझको पहचान जाते - The Indic Lyrics Database

अगर बेवफ़ा तुझको पहचान जाते

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - प्रेम धवन | फ़िल्म - रात के अंधेरे में | वर्ष - 1969

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अगर बेवफ़ा तुझको पहचान जाते
ख़ुदा की क़सम हम मोहब्बत ना करते
जो मालूम होता ये अंज़ाम-ए-उल्फ़त
तो दिल को लगाने की जुरअत ना करते
जिन्हें तुमने समझा मेरी बेवफ़ाई
मेरी ज़िन्दगी की वो मजबूरियाँ थी
हमारी मोहब्बत का एक इम्तिहां था
ये दो दिन की थोड़ीसी जो दूरियाँ थी
अगर सच्ची होती मोहब्बत तुम्हारी
तो घबराके तुम यूँ शिकायत ना करते
जो हम पे है गुज़री हम ही जानते थे
सितम कौनसा है नहीं जो उठाया
निगाहों में फिर भी रही तेरी सूरत
हर एक सांस में तेरा पैगाम आया
अगर जानते तुम ही इल्ज़ाम दोगे
तो भूले से भी हम तो उल्फ़त ना करते
लता मंगेशकर
(अगर बेवफ़ा तुझको पहचान जाते
ख़ुदा की क़सम हम मोहब्बत ना करते
जो मालूम होता ये अंज़ाम-ए-उल्फ़त
तो दिल को लगाने की जुरअत ना करते
जिसे फूल समझा वोही ख़ार निकला
तेरी तरह झूठा तेरा प्यार निकला
जो उठ जाते पहले ही आँखों के पर्दे तो
भूले से भी हम तो उल्फ़त ना करते
मेरा दिल था शीशा हुआ चूर ऐसा
कि अब लाख जोड़ो तो जुड़ ना सकेगा
तू पत्थर का बूत है पता गर ये होता तो
दिल टूटने की शिकायत न करते)